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हमारे आयोजन

प्रति वर्ष हंस साहित्यिक / बौद्धिक आयोजन करता आया है। भिन्न भिन्न साहित्यिक विधाओं से प्रतिष्ठित नाम , बुद्धिजीवी इत्यादि इन कार्यक्रमों का हिस्सा बनते हैं। वक्ताओं की भूमिका में भी और श्रोता के तौर पर भी। इनमे से तीन आयोजन ऐसे हैं जिनकी तारीख़ निश्चित है और हंस प्रेमी उत्साहपूर्वक इनकी प्रतीक्षा करते हैं। करोना काल में भी ये कार्यक्रम अपनी निर्धारित तारीख़ को ऑनलाइन किये गए।



प्रेमचंद जयंती समारोह

31 जुलाई

हर वर्ष हंस की सालगिरह 31 जुलाई के दिन हम एक विचार गोष्ठी का आयोजन करते थे। इस कार्यक्रम में विभिन्न सामाजिक, राजनैतिक, सांस्कृतिक और समसामयिक मुद्दों पर सेमिनार आयोजित किए जाते रहे हैं जिनमें अपने-अपने क्षेत्र के प्रबुद्ध विशेषज्ञ शिरकत करते <br> हैं।

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राजेन्द्र यादव हंस-कथा सम्मान

28 अगस्त

हिन्दी साहित्य में युवा रचनाकारों को प्रोत्साहित करने के लिए राजेन्द्र यादव ने 2013 में हंस कथा सम्मान प्रारम्भ किया। हंस में प्रकाशित उस साल की किसी एक कहानी पर कहानीकार को यह सम्मान दिया जाता है। इन कहानियों को निर्णायक मंडल द्वारा चयनित किया जाता है।

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राजेन्द्र यादव स्मृति समारोह

28 अक्तूबर

अपने अंतिम समय तक राजेन्द्र यादव साहित्य साधना करते रहे। उनके इसी सक्रियता और जज़्बे को सलाम करते हुए 28 अक्तूबर को राजेन्द्र यादव की स्मृति में एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया जाता है। हंस और आज के साहित्यिक परिवेश से सम्बंधित विषयों पर साहित्यकारों द्वारा विचार- विमर्श किया जाता है।

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हंस की अनौपचारिक बैठकें

नवंबर 1935

हंस के नवंबर 1935 के संपादकीय में प्रेमचंद ने ‘बैठक’ की जरूरत पर जोर दिया था, देश भर के साहित्यकारों के लिए “साहित्यकारों की एक संस्था बने, जिसकी बैठक कभी-कभी हुआ करे। इससे बजाय मुकाबले और द्वेष के आपस का मेल बढ़ेगा और हमारा साहित्य एक-दूसरे की तरक्की में मदद कर सकेगा।”

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