ISBN:
EDITION: Combo
PAGE: 100
LANGUAGE: Hindi
‘संस्कृति और वर्चस्व’ विषय में बार-बार यही बात उभरती है कि वर्चस्व की संस्कृति के सबसे अधिक शिकार रहे हैं दलित और स्त्री। जीवन और पत्रकारिता में ‘औरत’ गम्भीर विमर्श की कम, चटकारे का विषय अधिक रही है और उसके बहाने नारी-देह का व्यवसायिक इस्तेमाल पुरुष पत्रकारों का स्थायी शगल रहा है। इस चमक-दमक से अलग गम्भीर ढंग से स्थितियों को समझना या स्वीकार करना क्या समय की ज़रूरत नहीं है ? यह किताब ऐसे ही सवालों को उठाने का कार्य करती है। राजेन्द्र यादव जी के सम्पादन में निकला स्त्री-विमर्श केन्द्रित विशेषांक का यह पुस्तकाकार है, जो कि तीन खण्डों में अपने पाठकों के लिए उपलब्ध है।
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PAGE: 100
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