ISBN: 978-8194899723
EDITION: visas
PAGE: 100
LANGUAGE: Hindi
इस पुस्तक में स्त्री-विमर्श का वैचारिक लेखन यहाँ लेखिकाओं द्वारा अपने अनुभव के भीतर से विमर्श को रूपायित करने की इच्छा से प्रेरित है। इसके पीछे संवाद की आकांक्षा है, इस विश्वास के साथ कि अगर बार-बार दोहराने से झूठ को सच किया जा सकता है तो बार-बार समझांने से सच भी समझ में आ ही सकता है। हंस मासिक पत्रिका - देश की सबसे अधिक पढ़ी जाने वाली साहित्यिक पत्रिका महिला सरोकारों को उजागर करने के लिए प्रसिद्ध है. अनेक महिला लेखिकाओं की प्रतिभा को पहचानने का, उन्हें तराशने का कार्य हंस ने किया है. इसी सन्दर्भ में हंस ने समय समय पर महिला विशेषांक निकाले , जो इतने लोकप्रिय रहे , कि आज भी उनकी मांग बनी हुई है. उनकी इस लोकप्रियता को देखते हुए , इन्हे पुस्तकाकार रूप में लाया गया है. देश की जानी मानी लेखिकाओं की कहानियाँ, कवितायेँ, लेख इस पुस्तक श्रृंखला में उपलब्ध हैं.
ISBN: 978-8194899723
EDITION:
PAGE: 100
No review found.
Tab 4 content here (e.g., FAQs or shipping info)
No review found.
Easy Return, Quick Refund. See more.
हमसे जुड़ें और नवीनतम अपडेट, लेख, और ऑफ़र प्राप्त करें।