राजेन्द्र यादव जी के सम्पादकीय ‘हंस’ पत्रिका के मूल स्वर हैं। पाठकों और शोधार्थियों की मांग पर यादवजी के समस्त सम्पादकीय (अगस्त 1986 – नवम्बर 2013) बिना किसी काँट-छाँट के हूबहू उसी तरह इन खण्डों के रूप में पाठकों के सामने प्रस्तुत है। विचार-शृंखला संकलन के रूप में यह सम्पादकीय संकलन हिन्दी जगत के लिए अमूल्य धरोहर है।
‘राजेन्द्र यादव जी के संपादकीय ‘हंस’ पत्रिका का मूल स्वर हैं। उनकी ये टिप्पणियां इस बात की साक्षी हैं कि अपने जीवनकाल में उन्होंने किसी भी चुनौती के सामने हथियार नहीं डाले। ‘मेरी तेरी उसकी बात’ नाम से लिखे उनके संपादकीय पाठकों और वैचारिक विरोधियों में खास चर्चा के विषय होते थे। नवंबर 2013 का संपादकीय राजेन्द्र जी का लिखा अंतिम संपादकीय है।’
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